Author: Vijay Pathak | Last Updated: Tue 25 Nov 2025 9:49:59 AM
2026 अमावस्या : एस्ट्रोकैंप के इस लेख में हम आपको साल 2026 की अमावस्या तिथियों के बारे में विस्तार से बताएंगे। साथ ही, हम यह भी जानेंगे कि ज्योतिष शास्त्र में अमावस्या का क्या महत्व है, इस दिन की पूजा विधि और उससे जुड़े कुछ ख़ास नियम और उपाय क्या होते हैं। तो आइए, बिना किसी देरी के इस लेख की शुरुआत करते हैं और 2026 की अमावस्या तिथियों को समझते हैं।
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हिंदू पंचांग के अनुसार, अमावस्या वह रात होती है जब चंद्रमा आकाश में दृष्टिगोचर नहीं होता। इस दिन को विशेष रूप से धार्मिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इस दिन कई अनुष्ठान और व्रत किए जाते हैं। यदि अमावस्या का दिन सोमवार को पड़ता है, तो इसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है और यदि यह शनिवार को हो, इसे शनि अमावस्या कहा जाता है।
अमावस्या के दौरान, यह दिन विशेष रूप से पितरों को तृप्त करने के लिए श्राद्ध कार्यों के लिए उपयुक्त माना जाता है। इसके अलावा, कालसर्प दोष की पूजा और निवारण के लिए यह समय बहुत लाभकारी होता है। अमावस्या को आमतौर पर अमावस भी कहा जाता है और इस दिवंगत आत्माओं के लिए एक संजीवनी अवसर माना जाता है क्योंकि यह समय उनकी आत्मा के लिए शांति की प्राप्ति का होता है।
यह माना जाता है कि अमावस्या के दिन, मृतात्माएं पृथ्वी पर आकर अपने परिवार के सदस्यों से मिलती हैं। इस दिन, विशेष रूप से विष्णु धर्म शास्त्र के अनुसार, पितरों को श्रद्धांजलि देने के लिए विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं। अमावस्या का चंद्रमा पर गहरा प्रभाव होता है, जिससे इस दिन की ऊर्जा अत्यधिक तीव्र हो जाती है। खासतौर पर, यह माना जाता है कि मानसिक स्थिति पर इसका गहरा असर पड़ता है, और इस दिन व्यक्तियों को भावनात्मक रूप से अधिक असंतुलित या संवेदनशील महसूस हो सकता है। इसके कारण, कुछ लोग इस दिन को विशेष ध्यान और संयम की आवश्यकता वाले समय के रूप में भी देखते हैं।
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दिन |
तिथि |
अमावस्या |
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रविवार |
18 जनवरी 2026 |
माघ अमावस्या |
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मंगलवार |
17 फरवरी 2026 |
फाल्गुन अमावस्या |
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बृहस्पतिवार |
19 मार्च 2026 |
चैत्र अमावस्या |
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शुक्रवार |
17 अप्रैल 2026 |
वैशाख अमावस्या |
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शनिवार |
16 मई 2026 |
ज्येष्ठ अमावस्या |
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सोमवार |
15, जून 2026 |
ज्येष्ठ अमावस्या (अधिक) |
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मंगलवार |
14, जुलाई 2026 |
आषाढ़ अमावस्या |
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बुधवार |
12 अगस्त 2026 |
श्रावण अमावस्या |
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शुक्रवार |
11 सितंबर 2026 |
भाद्रपद अमावस्या |
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शनिवार |
10 अक्टूबर 2026 |
अश्विन या महालय अमावस्या |
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सोमवार |
09 नवंबर 2026 |
कार्तिक अमावस्या |
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मंगलवार |
08 दिसंबर 2026 |
मार्गशीर्ष अमावस्या |
जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य एक सीधी रेखा में आते हैं, तब चंद्रमा की प्रकाशित सतह पृथ्वी से दिखाई नहीं देती है और इस स्थिति को अमावस्या कहा जाता है। यह घटना हर महीने होती है इसलिए साल में कुल बाहर अमावस्याएं पड़ती हैं। मान्यता है कि इस दिन नकारात्मक शक्तियां सक्रिय होती हैं, लेकिन वास्तव में यह समय सकारात्मक ऊर्जाओं के बढ़ने का भी प्रतीक है। वर्ष 2026 की अमावस्या विशेष रूप से आत्मिक शांति, ध्यान और साधना के लिए शुभ माना जाता है।
वर्ष 2026 में कुल 12 अमावस्याएं पड़ेंगी, जिनमें से तीन अमावस्याओं को विशेष धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है, मौनी अमावस्या, महालय अमावस्या और सोमवती अमावस्या। इसके अतिरिक्त वर्ष के अंत में पड़ने वाली शनि अमावस्या भी अत्यंत प्रभावशाली मानी गई है। आइए जानते हैं इनका महत्व।
मौनी अमावस्या पर मौन रहकर साधना और जप का विशेष महत्व होता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन पवित्र नदियों में देवताओं का वास होता है इसलिए स्नान और दान-पुण्य विशेष फल प्राप्त होता है। शास्त्रों में कहा गया है कि मौन रहकर किया गया जप, बोले हुए जप से कई गुना अधिक फलदायी होता है। यह दिन आत्मिक शुद्धि और मन की शांति प्राप्त करने के लिए सर्वोत्तम माना जाता है।
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महालय अमावस्या को पूर्वजों के तर्पण और श्राद्ध के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है। इस दिन पितृ पक्ष का समापन होता है और अपने पितरों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने का यह सबसे महत्वपूर्ण अवसर होता है। वर्ष 2026 में महालय अमावस्या 21 सितंबर को पड़ेगी। इस दिन पितरों का तर्पण, दान और ध्यान करने से आशीर्वाद एवं पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
जब अमावस्या का दिन सोमवार को पड़ता है, तब उसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है। इसे मनोकामनाओं की पूर्ति और दांपत्य सुख की वृद्धि के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। मान्यता है कि यदि सुहागिन स्त्रियां इस दिन व्रत और पूजा करती हैं, तो उनके पति की आयु दीर्घ होती है और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
जब अमावस्या का दिन शनिवार को पड़ता है, तो वह शनिश्चरी या शनि अमावस्या कहलाती है। यह दिन शनि दोष, पितृ दोष और नकारात्मक ऊर्जाओं से मुक्ति दिलाने वाला माना गया है। इस दिन यदि व्यक्ति पीपल के वृक्ष पर जल अर्पित कर शनि देव की पूजा करें, तो जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
अमावस्या तिथि को हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और रहस्यमयी तिथि माना गया है। इस दिन जब चंद्रमा पूर्ण रूप से लुप्त हो जाता है, तब पृथ्वी पर ऊर्जा का विशेष संचार होता है। प्रत्येक अमावस्या का अपना अलग महत्व, उद्देश्य और आध्यात्मिक प्रभाव होता है। उपर्युक्त तिथियों के अलावा भी वर्षभर में कई प्रमुख अमावस्याएं आती हैं, जिनका धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यधिक महत्व है। आइए जानते हैं कुछ प्रमुख अमावस्या तिथियों के बारे में विस्तार से-
श्रावण मास में पड़ने वाली अमावस्या को हरियाली अमावस्या कहा जाता है। यह तिथि प्रकृति और पर्यावरण के प्रति समर्पण का प्रतीक मानी जाती है। इस दिन वृक्षारोपण करने का अत्यधिक महत्व बताया गया है। मान्यता है कि, जो व्यक्ति इस दिन पौधा लगाता है, उसे पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उसके कुल का उद्धार होता है। देश के कई भागों में इसे दर्श अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान कर, पितरों के लिए दीपदान करने और उन्हें तर्पण अर्पित करने की परंपरा है ऐसा करने से पारिवारिक सुख-शांति बनी रहती है और पितृ प्रसन्न होकर घर में समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।
आश्विन मास की अमावस्या को सर्वपितृ अमावस्या या पितृ विसर्जन अमावस्या कहा जाता है। यह तिथि पितृ पक्ष का अंतिम दिन होता है, जब समस्त पितरों का विधिवत तर्पण और श्राद्ध किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि जिन पूर्वजों का किसी कारणवश पूरे वर्ष या पितृपक्ष में श्राद्ध नहीं हो पाता, उनका श्राद्ध इस दिन करने से वे प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं। इस दिन पृथ्वी पर आए सभी पितर तृप्त होकर अपने लोक लौट जाते हैं। अतः यह तिथि श्रद्धा, कृतज्ञता और पारिवारिक बंधन को सुदृढ़ करने का दिवस मानी जाती है।
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कार्तिक मास की अमावस्या को हिंदू धर्म में सबसे पवित्र और शुभ अमावस्या माना गया है। इस दिन दीपावली का पर्व मनाया जाता है, जो अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है। इसे काली अमावस्या भी कहा जाता है क्योंकि इस रात देवी काली और माता लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है। देवी लक्ष्मी की आराधना से घर में धन, वैभव और समृद्धि आती है, वहीं मां काली की उपासना से भय और नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है।
माघ मास की अमावस्या पर गंगा स्नान और दान-पुण्य का विशेष महत्व होता है। कहा जाता है कि इस दिन किया गया स्नान, दान और जप-अनुष्ठान कई गुना फल देता है।
इस तिथि पर व्रत, दान और पवित्र नदियों में स्नान करने से पापों का नाश होता है। यह दिन धार्मिक कार्यों के लिए अत्यंत शुभ माना गया है।
आषाढ़ मास की अमावस्या देवशयनी एकादशी से पहले आती है और इसे आध्यात्मिक जागरण का समय माना गया है। इस दिन पितरों की शांति के लिए तर्पण और दान करने की परंपरा है।
अमावस्या के दिन क्या करें क्या न करें
अमावस्या तिथि को आध्यात्मिक साधना, पितृ तर्पण और आत्मशुद्धि का दिन माना गया है। इस दिन किए गए शुभ कर्म व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाते हैं, वहीं कुछ कार्य ऐसे हैं, जिन्हें करने से बचना चाहिए। आइए जानते हैं इसके बारे में,
सुबह जल्दी उठकर गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करें। यदि संभव न हो तो घर पर जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
यह दिन पूर्वजों को प्रसन्न करने का होता है। तिल, जल, दूध और कुशा से तर्पण करें और पितरों के नाम से दान दें।
संध्या के समय दक्षिण दिशा की ओर दीप जलाना शुभ माना गया है। यह पितरों की आत्मा की शांति का प्रतीक है।
गरीबों, ब्राह्मणों या जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और दक्षिणा का दान करें। कहा जाता है कि इस दिन किया गया दान कई गुना फल देता है।
‘ऊं नमः शिवाय’, ‘ऊं नमो भगवते वासुदेवाय’ या पितृ शांति मंत्र का जाप करने से आत्मिक बल और शांति प्राप्त होती है।
अमावस्या पर उपवास रखना शरीर और मन को शुद्ध करता है। इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और आत्मबल बढ़ता है।
इस दिन मन को शांत रखें। झगड़ा या कठोर वचन बोलना शुभ कार्यों के फल को कम कर सकता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अमावस्या पर बाल या नाखून काटना अशुभ माना गया है।
यह दिन पवित्रता का प्रतीक है, इसलिए मांस, शराब या तामसिक भोजन से दूर रखना चाहिए।
कहा जाता है कि इस दिन कर्ज देना या लेना आर्थिक बाधाओं को जन्म देता है।
अमावस्या की रात नकारात्मक ऊर्जाओं का प्रभाव अधिक होता है, इसलिए देर रात तक बाहर रहना टालना चाहिए।
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अमावस्या की रात घर के उत्तर दिशा में घी का दीपक जलाएं और उसमें दो लौंग डालें। “ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें। कहा जाता है इससे धन की वृद्धि होती है और दरिद्रता दूर होती है।
दीपावली या काली अमावस्या की रात, घर के मुख्य द्वार पर सरसों के तेल का दीपक जलाकर रख दें। इससे नकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश नहीं करती और लक्ष्मी स्थायी रूप से घर में निवास करती हैं।
अमावस्या की रात पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाकर “ऊं शनैश्चराय नमः” मंत्र का जाप करें। यह उपाय आर्थिक तंगी दूर करने में बेहद असरदार माना गया है।
एक नींबू को चार भागों में काटकर घर के चारों कोनों में रख दें और अगले दिन बहते जल में प्रवाहित करें। इससे नकारात्मकता और बुरी नजर असर समाप्त होता है।
अपनी दुकान या दफ्तर में अमावस्या की शाम को कपूर जलाकर भगवान कुबेर की प्रार्थना करें। यह धन प्रवाह बढ़ाने में सहायक माना गया है।
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हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा ये लेख जरूर पसंद आया होगा। ऐसे ही और भी लेख के लिए बने रहिए एस्ट्रोकैंप के साथ। धन्यवाद !
1. अमावस्या तिथि क्या होती है?
जब चंद्रमा पूरी तरह लुप्त हो जाता है और आकाश में दिखाई नहीं देता, उस दिन को अमावस्या कहा जाता है। यह दिन हर माह एक बार आता है और आध्यात्मिक दृष्टि से बहुत शक्तिशाली माना गया है।
2. अमावस्या का धार्मिक महत्व क्या है?
अमावस्या पितरों की तृप्ति, आत्मशुद्धि और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति का दिन माना गया है। इस दिन पूजा, ध्यान, दान और तर्पण करने से विशेष पुण्य फल मिलता है।
3. अमावस्या को क्या दान देना चाहिए?
घी का दान करना चाहिए।
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